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उपचार से भली सावधानी

उपचार से भली सावधानी
जीवों की उत्पत्ति होने के बाद उन जीवों की रक्षा करना बहुत मुश्किल हो जाता है| इसलिए घर में जीवों की उत्पत्ति ही न हो इस बात की सावधानी रखना उत्तम कार्य है|

इतनी सावधानी अवश्य रखिए :-

1) घर को सम्पूर्णतया स्वच्छ रखिए – गंदगी से जीवोत्पत्ति विशेष होती है|

2) पानी का उपयोग कम से कम कीजिए, गीलेपन से अधिक मात्रा में जीव पैदा होते हैं|

3) खाद्य पदार्थ जमीन पर न गिरें, अन्न के आकर्षण से अनेक जीव दौडे चले आते हैं|

4) जूठा मत छोडिए| जूठा अन्न मोरी (sink) में डालने से झिंगुर (cockroach) वगैरह अनेक व अधिक जीवों की उत्पत्ति होती है|

5) हवा-उजाला आने में रुकावट न करें, खिड़की दरवाजे बंद रखने से कुदरती हवा तथा सूर्य के प्रकाश में रुकावट आने से जीवोत्पत्ति की संभावना बढती है|

6) खाद्य पदार्थ के बर्तन दृढता से बंध रखिए, अचार की बरनी वगैरह बराबर बंद न हो तो सुगंध से जीव आकर्षित होते हैं|

7) पकाये हुए खाद्य पदार्थ बासी न रखें, उन खाद्य-पदार्थो में उनकी काल-मर्यादा खत्म होने पर जीवोत्पत्ति की संभावना बढती है|

8) घर का ङ्गर्श गहरे रंग का या बारीक डिझाईनवाला न रखें| इससे सूक्ष्म जीव दिखाई नहीं देते|

9) कोई भी प्रवृत्ति करते समय नजर उसी में रखें|

10) कचरा या अनावश्यक वस्तुओं का निकाल जयणापूर्वक यथायोग्य स्थान पर करें|

11) थाली धोकर पीने की आदत बनाएं|

12) उज्जड स्थान में अर्थात् नित्य उपयोग में न आते हों ऐसे स्थान या मकान में जीव जन्तु ज्यादा संख्या में निवास करते हैं, ऐसे स्थानों की थोड़े-थोड़े दिनों में सङ्गाई होनी चाहिये| मकान में जिनका उपयोग नहीं होता हो ऐसे कमरों की नित्य अथवा एक दिन के अंतर से सङ्गाई होनी चाहिये|

13) लंबे समय से उपयोग में नहीं लिये गये मकान के उपयोग अथवा सङ्गाई करने से पहले वहॉं के दरवाजे – खिड़की आदि एक दो दिन खोलकर रखने चाहिये, जिससे उसमें रहने वाले जीव बाहर चले जायें, ङ्गिर सङ्गाई वगैरे करें|

14) सूखे नीम के पत्ते, लोबान अथवा अन्य किसी पदार्थ का धूप करने से जन्तु चले जाते हैं| मिट्टी के कुंड में गाय के गोबर के कंडे सुलगाकर धूप करना चाहिये| इससे हवा शुद्ध होती है| धूप प्रतिदिन अथवा सप्ताह में एक बार संध्या के समय करना चाहिये|

15) घर में सामान या ङ्गर्निचर हमेशा एक जगह पड़ा होगा तो उस सामान के नीचे या पीछे जीवजन्तु भर जाते हैं, इसलिये संभव हो तो सामान की जगह थोड़े – थोड़े दिनों में बदलते रहना चाहिये| अथवा सामान को खिसकाकर नीचे एवं पीछे नियमित सङ्गाई करते रहना चाहिये| यदि संभव हो तो सामान के नीचे के भाग की ङ्गर्श खुली रहे व दिवाल से ३-४ इंच दूर हो तो सङ्गाई करने में अनुकूलता रहेगी| संभव हो तो एक बडे ड़िब्बे या ड्रम की जगह छोटे-छोटे दो या तीन ड़िब्बे या ड्रम रखने चाहिये जिससे वजन कम हो और सङ्गाई के लिए आसानी से खिसकाया जा सके|

16) पुराना भंगार का सामान एक जगह पर पड़ा रहने से उसमें जीवजन्तु भर जाते हैं, अतः अनावश्यक सामान का योग्य निकाल जल्द ही कर देना चाहिये|

17) घर में पक्षियों का आना जाना रहता हो तो इलेक्ट्रीक पंखे के चारों ओर जाली लगानी चाहिये| (टेबल फेन की तरह)

18) रसोई की विविध कच्ची सामग्री जैसे कि अनाज, आटे, मसाले इत्यादि, तैयार रसोई, कपड़े, पुस्तक आदि रोज काम में आनेवाली विविध उपयोगी सामग्री रखने के लिये बंध कपाट का उपयोग करें| उसके दरवाजे चुस्त रीति से बंद हों ऐसी व्यवस्था रखें| खुले, ढीले दरवाजों से दरार आदि के कारण छोटे-छोटे जन्तु या चूहे आदि भी उसमें जाकर अंदर रखी सामग्री को खराब कर देते हैं, जिससे उन जीवों के प्रति हमें द्वेष पैदा होने से उनका नाश करने की वृत्ति पैदा होती है| अतः पहले ही यदि ध्यान रखें तो यह स्थिति नहीं होगी|

19) चूना गरम होने की वजह से चूने से रंगी दिवार या छत से कई प्रकार के जीवजन्तु दूर रहते हैं| कभी आ भी जायें तो चूने से वे मरते नहीं एवं ज्यादा समय वहॉं रहते भी नहीं| दिवार पर चूना लगाते समय उसे घिस कर साङ्ग किया जाता है| उसके पहले नरम झाडू जैसे साधन से जयणापूर्वक साङ्ग करने से मकड़ी आदि जीवजन्तु दीवार या छत से दूर चले जाते हैं| चूना पानी में घोलते समय अथवा रंगते समय जीवजन्तु उसमें गिरे नहीं, उसकी पूरी सावधानी रखें| रात्रि में रंगने का कार्य नहीं करें| बिजली के बल्ब के आस-पास उड़ते जीवजन्तु ताजी रंगी हुयी दीवार या छत पर बैठने से चिपककर मरने की संभावना रहती है|

20) दीवार रंगने के लिये भिगोये गये चूने में से बचे हुए चूने के सूख जाने पर उस चूने का पावडर चौमासे के पहले यदि लकडे के ङ्गर्निचर पर घिसा जाय तो उसमें उत्पन्न होने वाले सङ्गेद बारीक जन्तु उत्पन्न नहीं होते| वर्षा ऋतु के दरमियान महिने – दो महिने में चूने का पावडर घिसना चाहिये| यह ध्यान रहे कि उसमें यदि जन्तु उत्पन्न हो गये हों तो पावडर नहीं घिसें|

21) घर में कचरा निकालने के बाद आधुनिक विषैले ङ्गिनाइल आदि जन्तुनाशक दवाईयों का उपयोग नहीं करें| सादे पानी से पोंछा करने के बाद एक छोटी बाल्टी में एक चम्मच केरोसीन डालकर उस पानी से पुनः पोंछा करें| लेकिन यह केरोसीन के पानी का पोंछा कमरे या हॉल के मध्य भाग में अर्थात दीवार से देढ या दो ङ्गिट दूर जगह कोरी रखकर करें| केरोसीन की गंध के कारण जीवजन्तु दीवार के पास होकर स्वस्थान पर चले जायेंगे|

22) पानी का पोंछा हमेशा सूखा कचरा निकालने के बाद ही करना चाहिये|

23) कई बार मिठाई, चासणी आदि बन जाने के बाद बर्तन में भरने से पहले यदि थोड़ी देर तक ऐसे ही ठंडा करने के लिए रखना हो तो उसे थाली या परात जैसे साधन में पानी डालकर बीच में रखना चाहिये ताकि जीव जन्तु उस तक न पहुँच पायें|

24) सङ्गाई करने के लिए मुलायम स्पर्शवाले झाडू का ही उपयोग करें| कड़क झाडू से जीव मर सकते हैं|

25) अंधेरे में भोजन बनाना, झाडू, पोंछा, कपडे धोना आदि कार्य न करें|

26) कोई भी खाद्य पदार्थ यदि बाहर ङ्गेंकना पड़े तो उसे प्लास्टिक की थैली में रखकर नहीं डालें| अज्ञानी जानवर खाद्यपदार्थों को थैली सहित ही खा जाते हैं, जिससे उनके पेट में गांठे हो जाती हैं, एवं वे भयंकर वेदना का अनुभव करते हैं| गाय, भैंस इ. पशु द्वारा खाये जाने पर ङ्गेंङ्गड़ो में जाने से सॉंस रुक कर वे मर जाते हैं| इससे हमें बड़े पंचेन्द्रिय जीव की हिंसा का घोरतम पाप लगता है|

यह आलेख इस पुस्तक से लिया गया है
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1 Comment

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  1. Paresh Sanghvi
    अग॰ 2, 2012 #

    Good for modern people they must read.Thanks for given this much details for jivdaya.

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