परोपकारः कर्त्तव्यः प्राणैरपि धनैरपि
साहसी बालक
डिट्टा का भाग्य
एक गॉंव में एक आदमी रहता था| उसे लोग डिट्टा कहकर बुलाते थे| वह कुछ भी पढ़ा लिखा नहीं था, इसलिए बेकार था| Continue reading “डिट्टा का भाग्य” »
अनमोल शिक्षा
नो हीलए नो वि य खिंसएज्जा
पुष्प समान जीवन मिले
गुरुजनों का प्रदेश… अर्थात गुर्जर देश… पिया के घर जाती हुई एक नयी नवेली दुल्हन ने… गरवी गुजरात के राष्ट्रसंत श्री रविशंकर महाराज से चरण स्पर्श कर आशिष मॉंगा…| Continue reading “पुष्प समान जीवन मिले” »
आनंद की साधना
आज्ञा तु निर्मलं चित्तं कर्त्तव्यं स्फटिकोपमम्
समय का सदुपयोग
कालेण काले विहरेज्जा
ज्ञान की रोशनी
नमो नमो नाणदिवायरस्स
जीवन का निर्माण
जन्म का प्रारम्भ तो सभी का एक जैसा होता है लेकिन अन्त एक जैसा नहीं होता| सुबह तो सभी की एक सी है पर शाम भिन्न-भिन्न है| Continue reading “जीवन का निर्माण” »
अपरिग्रह
मुच्छा परिग्गहो वुत्तो
सब कुछ तुम्हारी पात्रता पर निर्भर है
अगर तुम्हारा पात्र भीतर से बिलकुल शुद्ध है, निर्मल है, निर्दोष है, तो जहर भी तुम्हारे पात्र में जाकर निर्मल और निर्दोष हो जाएगा| Continue reading “सब कुछ तुम्हारी पात्रता पर निर्भर है” »